कोरोना वायरस के चलते घरों में सादगी से पूजा पाठ एवं हवन यज्ञ कर मनाये परशुराम जयंती- पं चैतन्य मिश्रा

कोरोना वायरस के चलते घरों में सादगी से पूजा पाठ एवं हवन यज्ञ कर मनाये परशुराम जयंती- पं चैतन्य मिश्रा। (राष्ट्रीय क्राईम रिपोर्टर शिवकुमारी शुक्ला की खास रिपोर्ट)

अनूपपुर ।न्याय के देवता माने जाने वाले भगवान परशुराम जी के जन्मदिन पर शुक्रवार को इस साल भी कहीं कोई कार्यक्रम नहीं हो पाएगा। कोरोना महामारी के चलते देश भर लॉकडाउन के कारण आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा ने लोगों को अपने घरों में ही भगवान परशुराम जयंती मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी बनाते हुए पूजा पाठ एवं हवन यज्ञ करके परशुराम जयंती को मनाएं।आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा के जिला अध्यक्ष पंडित चैतन्य मिश्रा ने कहा कि वैश्विक महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए सभी को मिलजुल का भगवान परशुराम से प्रार्थना करनी चाहिए। परशुराम का अर्थ फरसा धारण किए हुए श्रीराम से है, अर्थात विष्णु अवतार परशुराम को परम पितृभक्त माना गया है। पिता ऋषि जगदग्री एवं माता रेणुका के पांच पुत्रों रुक्मान, सुखेण, वसु, विश्वानस तथा सबसे छोटे पुत्र हुए परश्ुाराम। ब्राह्मण होते हुए भी उन्हें क्षत्रियों की तरह एक वीर योद्धा के रूप में जाना जाता है।भगवान परशुराम भारत की ऋषि परंपरा के महान वाहक हैं, उनका शस्त्र और शास्त्र दोनों पर ही समान अधिकार था। चैतन्य मिश्रा ने कहा कि गंगा पुत्र भीष्म, आचार्य द्रोण तथा कुंती पुत्र कर्ण जैसे महायोद्धा उनके शिष्य थे।भगवान परशुराम का मानना था कि अन्याय करना और सहना दोनों ही पाप हैं। इसलिए उनका फरसा सदैव अन्याय के खिलाफ उठा है। जब उन्हें यह ज्ञात हो गया कि धरती पर भगवान श्रीहरि ने सातवां अवतार श्रीराम के रूप में ले लिया है, तब उन्होंने अपने क्रोध की ज्वाला को शांत करने और तपस्या के उद्देश्य से महेंद्रगिरि पर्वत का रुख किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी महेंद्रगिरि पर्वत पर चिरकाल से तपस्यारत हैं। आओ हम मिलकर उन्हें उनकी जयंती पर स्मरण करें और विश्व शांति का उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।धर्म शास्त्रों में लिखा है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन हुआ था. देवराज इन्द्र ने भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि के पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न होकर ऋषि की पत्नी रेणुका को परशुराम के जन्म का आशीर्वाद दिया था. उनका वास्तविक नाम जामदग्न्य था. पिता भृगु ऋषि ने नामकरण संस्कार के तहत उनका नाम राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु लेने के कारण उनका नाम परशुराम पड़ा। इस अवसर पर आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा के जिला अध्यक्ष पंडित चैतन्य मिश्रा ने यह भी कहा कि हम प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी से यह मांग करते है कि शहरी व ग्रामीण इलाकों के मंदिरों में व भक्तों के घरों में जाकर पूजा करने वाले पुजारी एवं गरीब ब्राह्मण लॉकडाउन के कारण भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। उनका खर्च बड़ी मुश्किल से चलता है।इसलिए जब तक लाक डाउन है तब तक प्रदेश के गरीब ब्राह्मणो को आर्थिक सहायता दिया जाय।। bsp24news सत्यता की पहचान हमारा हिंदुस्तान 6264105399

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *