अमरकंटक : श्रवण उपाध्याय
मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में आज गोवर्धन पूजन बाद अन्नकूट प्रसादी का भोग लगाया गया ।
अमरकंटक के अनेक वार्डो में लोग मौन व्रत रखकर गौ पूजन करते है , गौ माता की परिक्रमा , उसके नीचे से पार होना , माला पहनना , रोली सिन्दूर लगाना आरती करना , बड़ों का आशीर्वाद लेकर बाद में एकांत या जंगल चले जाना है । लोग टोलियो में भी रहते है , लेकिन बात चीत आपस में नही करते । शाम ढलते घर आना पूजा अर्चन कर मौन व्रत तोड़ते है । यह परंपरा अनेक वर्षों से लोग करते चले आ रहे है ।
गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर विधि विधान से पूजन किया जाता । गौ पूजन किया जाता । गोवर्धन पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो दीपावली पर्व के बाद वाले दिवस में मनाया जाता है । इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है ।
अन्नकूट का प्रसाद एक विशेष होता है । कारण की बारिश के बाद सभी ने गोवर्धन पर्वत का सहारा लिया था तब भोजन के लिए अनेक प्रकार की सब्जी मिलाकर पकाया गया और इसे ही गोवर्धन का प्रसाद माना गया ।
अन्नकूट महोत्सव नई फसल से तैयार भोजन किया जाता है । ग्रामीण क्षेत्र में आज नई फसल का आगमन भी कहते है । उसी अन्न का प्रसाद बनाया जाता है । भगवान को भोग लगाने बाद सब पाते है ।
संतो ने भी पूजन अर्चन बाद कराया भोज्य
अमरकंटक क्षेत्र में निवासरत संतो ने इस पावन त्योहारों में विशाल भंडारा का आयोजन कर संतो , ब्राम्हणों और भक्तो को प्रसादी खिलाई जाती है ।
गीता स्वाध्याय मंदिर के संत स्वामी नर्मदानंद जी महाराज ने बताया की यह उत्सव प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
शांति कुटी के श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास जी महाराज ने कहा कि आज अनेक प्रकार की सब्जियों को मिलाकर तैयार राम भाजी सब्जी का विशेष महात्म रहता है जो प्रतिवर्षानुसार आज आश्रम में बनाकर भंडारे में पहुंचे लोग ग्रहण करते है ।