बालाघाट जिला शांति का टापू माना जाता है लेकिन यहां पर आय दिन ऐसा घटनाक्रम होता है कमल कोडले की खास रिपोर्ट

बालाघाट जिला शांति का टापू माना जाता है लेकिन यहां पर आय दिन ऐसा घटनाक्रम होता है जिस वजह से पूरा प्रदेश सकते में आ जाता है हाल ही में डॉली दमाहे हत्याकांड और नक्सलियों की मूवमेंट की घटनाएं इस जिले को पूरे प्रदेश में सिर पर रख रही है जिसको सुनकर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है डॉली दमाहे हत्याकांड नक्सलियों की मौजूदगी जैसी घटनाएं सामने आने के बाद पुलिस प्रशासन अपने स्तर पर सुरक्षा की बात करता है लेकिन धरातल पर यह सब सारी चीजें व्यर्थ साबित हो रही है
हाल ही में जिला जेल बालाघाट में एक ऐसी वारदात सामने आई जिसको सुनने और देखने के बाद लोगों ने यह कहा वह तो जेल है वहां ऐसा हो सकता है लेकिन उसी जेल से अपनी सजा काट के बाहर आए एक कैदी ने बताया कि वह जेल नहीं वाकई में अंग्रेजों के समान जमाने का जेल है जहां का जेलर ना किसी धर्म को मानता है और ना ही किसी व्यक्ति को उसका बस एक ही मकसद है कहां से पैसा आ रहा है छोटे से छोटा मामला हो या बड़ा मामला वर्तमान में जो जिलाधिकारी है वह हर मामले के लिए सिर्फ और सिर्फ पैसों की ही बात करता है हाल ही में बालाघाट जिले का एक प्रकरण सामने आया था जिसमें मुख्य आरोपी वर्तमान में जेल में बंद है जिसको सारी सुविधाएं देने की एवज में जिला जेल का अधिकारी प्रतिमा डेढ़ लाख रुपए लेता है इसके अलावा जिला जेल में बंद नक्सली सदस्यों से भी अधिकारी प्रति माह पैसे वसूल करता है
अब आप सो सकते हैं जेल जिसे आम भाषा में अपराधियों का सुधार ग्रह समझा जाता है वहीं पर इस प्रकार से पैसों की अवैध वसूली हो रही हो तो जो आरोपी यहां जाते हैं उनका सुधार कैसे होगा
बहरहाल इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए आवेदन भेजा जा चुका है अब देखना है कब तक ध्यान दिया जाता हैं

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