बालाघाट :-भाजपा ने मनाई महाराणा प्रताप जयन्ती:-रिपोर्टर कमल कोडले की खास रिपोर्ट

भाजपा ने मनाई महाराणा प्रताप जयन्ती

आज ज़िला भाजपा कार्यालय में राष्ट्रधर्म रक्षार्थ आजीवन माँ भारती के लिए शौर्य और पराक्रम से लड़ते रहने वाले वीरशिरोमणी महाराणा प्रताप की जन्मजयन्ती मनाई गई जिस अवसर पर ज़िला उपाध्यक्ष दिलीप चौरसिया ने कहा कि लड़ते-लड़ते मर जाऊंगा लेकिन धर्म नही बदलूंगा, महल के सारे ऐश्वर्य को छोड़कर जंगलो में निवास कर घास की रोटीयाँ खा कर, रत्नजड़ित आभूषण त्यागकर भाले-तलवार और ललाट की चमक को अपना आभूषण बनाकर, वनवासी बंधुओ के अपार स्नेह के साथ अंत तक लड़ते रहे एैसे हम सभी प्रेरणास्रोत महाराणा प्रतापजी को हम नमन् करते हैं ।

नगर भाजपा अध्यक्ष सुरजीत सिंह ने कहा माँ भारती के ऐसे वीर सपूत महान स्वाभिमानी, हिंदुआ सूरज, सत्य सनातन धर्म की आन-बान-शान, माँ भारती के वीर सपूत, वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की जयंती अवसर पर हम उन्हें नमन् करते हैं उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी इतिहास की सच्चाई को सामने लाकर राष्ट्रवादियों को बताने की जो काम हमारे देश के इतिहासकारों के माध्यम से हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी द्वारा किया जा रहा है जिसमें किस तरह से मेवाड़ में हल्दीघाटी के युध्द में महाराणा की जीत और अकबर की हार हुई थी इस सच्चाई को प्रमाणिकता के साथ मेवाड़ की पावन भूमि पर अंकित किया जायेगा महाराणा प्रताप की अमर कहानी इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों से अंकित है।महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे।आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |
महाराणा ने अपना सेनानायक पुंजा भील को बनाया था।
युद्ध में तीरों के जिसने हाहाकार मचाया था।
वो जान बचाने महाराणा की तीन टांग पर दौड़ा था।
स्वामी भक्ति का अमर उदाहरण वीर चेतक एक घोड़ा था।
अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी,लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
महाराणा प्रताप के एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद।
मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे ।
जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।और वो कहते हैं अकबर महान था, इसिलिये हम सभी राष्ट्रवादीयों को चिन्तन करने की ज़रूरत है कि देश की आज़ादी के बाद भी हमारे इतिहास को क्यों तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और विदेशी आक्रमणकारीयों को महान बताया गया ।आज इस कार्यक्रम अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष सुरजीत ठाकुर,जिला भाजपा उपाध्यक्ष दिलीप चौरसिया,नगर भाजपा उपाध्यक् गणेश अग्रवाल,डाँ.अक्षय कटरे,हरचरण सिंह नारड़े,नगर उपाध्यक्ष खिमेन्द्र गौतम,अखिलेश चौरे,अजय सुखदेवे,सोनू कहार, अभिजीत ठाकुर,मिंटू जयसवाल, दीपक लिल्हारे, शिवम बाकले,आनंद पिछड़े विशाल मेश्राम,सिद्धांत बाजपाई, रंजीत गोयल आदि कार्यकर्ताओं ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करी ।

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