अमरकंटक में गुरु पूर्णिमा पर्व को शिष्यों ने महोत्सव स्वरूप मनाया

अमरकंटक – श्रवण उपाध्याय

पवित्र नगरी अमरकंटक में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व शिष्य व भक्तों द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया । गुरु पर्व महोत्सव अमरकंटक अनेक सन्तो के आश्रमो में मनाते देखा गया । यह गुरु पूजन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया , विभिन्न आश्रमों में गुरु पूजन हेतु अनेक शिष्यों ने अपने अपने गुरु स्थान पधार कर गुरु पूजन किया और भंडारे का कार्यक्रम भी कई आश्रमो में आयोजित किया गया । इस गुरुपूर्णिमा महोत्सव में कई आश्रमो में नगर भंडारा का भी आयोजन किया जाता है व कुछ आश्रमो में स्कूली बच्चों का भी भंडारे में आमंत्रित किये जाते है और बच्चे बड़ी प्रसन्नता से मालपुआ , तस्मयी (खीर) , पूड़ी , सब्जी , मिठाईयों का भरपूर आनंद लेते है । साधु संत भी भंडारे वाले स्थान पर भारी संख्या में पहुच कर प्रसाद ग्रहण कर दक्षिणा , वस्त्र प्राप्त कर बड़ी प्रसन्नता ब्यक्त करते हुए जाते नजर आते है । इस तरह कुछ विशेष आश्रमो की चर्चा करते हुए हम गुरु पूर्णिमा का महोत्सव किस तरह शिष्य , भक्त व अन्य लोगो द्वारा गुरु पूजन कर इस उत्सव को महोत्सव में बदल देते है ।

कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक के परम तपस्वी बाबा श्री कल्याण दास जी महाराज कल्याण सेवा आश्रम में यंहा अनेक प्रदेश से शिष्यगण यंहा पहुच कर सुबह छः बजे से गुरुपूजन प्रारम्भ कर दिया जाता है । बाबा कल्याण दास जी महाराज हर गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रथम आश्रम अमरकंटक में ही गुरु पर्व मानते है । संत हिमान्द्री मुनि जी महाराज बताते है कि ये शिष्यों का प्रेम है जो काफी दूर दराज से सफर तय करके लोग यंहा पहुचते है और अपनी श्रद्धा भक्ति समर्पित करते है , माँ नर्मदा जी का दर्शन कर लाभ प्राप्त करते है । आश्रम में सुबह गुरुपूजन पश्चात आश्रम प्रांगण मंदिर में संत प्रवचन , पूजन आरती उपरांत विशाल भंडारे के आयोजन में संत , ब्राम्हण , स्कूली बच्चे , नगरवासी , भक्त-शिष्य आकर प्रसाद ग्रहण करते है ।

शांति कुटी आश्रम के महंत रामभूषण दास जी महाराज कहते हैं की गुरु पूर्णिमा व्यास जी की स्मृति में मनाया जाता है भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर का स्थान दिया गया है । मनुष्य जो भी कार्य करता है और उसमें वह सफल होता है तो उसका पूरा श्रेय गुरु को जाता है गुरु के अनुकंपा और गुरु के आशीर्वाद से ही कार्य सफल होते हैं । यंहा भी गुरुपर्व धूमधाम से मनाया जाता है । साधु संत , ब्राम्हण , कन्याएं , स्कूली बच्चे सभी गुरुपर्व भंडारे में पधारते है और प्रसाद ग्रहण करते है ।

मार्कण्डेय आश्रम के आचार्य महामंडलेस्वर स्वामी रामकृष्णानन्द जी महाराज के यंहा भी काफी शिष्य आते है । सुबह से गुरुपूजन प्रारम्भ हो जाता है । अनेक जगहों से शिष्यगण आते है तथा नगर से भी भारी संख्या में शिष्य गुरुपूजन पर्व में पधारते है । गुरुपूजन पश्चात कन्यापूजन , संत ,ब्राम्हण प्रसाद ग्रहण करते है ।

गीता स्वाध्यायी आश्रम के महंत नर्मदानंद गिरी जी महाराज जी बताते है कि सुबह से हम अपने स्वर्गीय पूज्य गुरु जी का पूजन करते है , मंदिर में पूजन होता है उसके बाद बाहर से आये शिष्यों द्वारा गुरुपूजन करते है । वेद पाठी बच्चे भी सत्संग पूजन में भाग लेते है । यहां पर साधु-संत , ब्राम्हण , शिष्य-भक्तगण भंडारे में प्रसाद पाते है ।

परमहंस आश्रम धारकुण्डी शाखा अमरकंटक के महंत बाबा लवलीन महाराज ने बताया कि धारकुंडी आश्रम चित्रकूट पास गुरु स्थान है जंहा पर दूर दराज से लोग पहुच कर गुरुपूजन करते है । अमरकंटक आश्रम में गुरु तस्बीर स्वरूप मानकर माल्यार्पण कर गुरुपूजन किया जाता है , धुनि चेतन्य कर हवन , पूजन ,आरती की जाती है । शिष्य यंहा भी आते है पूजन करते है और भंडारे में प्रसाद पाते है । आश्रम के विद्यार्थी , भक्तगण उत्साह से गुरुपर्व को महोत्सव के रूप में मनाते है ।
श्री श्री 1008 श्री बौराहा बाबा शिव गंगा सावित्री जन कल्याण संस्थानम माई की बगिया रोड़ अमरकंटक आश्रम में शिष्यगणों द्वारा श्रद्धा भक्ति के साथ गुरु तस्वीर में माल्यार्पण कर पुष्प , फल , मिष्ठान अर्पण कर पूजन किया जाता है । आस पास के शिष्यों का यंहा आगमन होता है , बांकी अधिकतर गुरुस्थान बनारस ही शिष्य जाते है ।

बौराहा बाबा के शिष्य बलराम साहू बताते है कि गुरुपूर्णिमा के समय गुरुजी बनारस आश्रम में गुरु पर्व मानते है इस वजह यंहा के आश्रम में नही पहुच पाते है । हम यंहा आस पास के शिष्य व भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा से पूजन पश्चात कन्या , संत , ब्राम्हण व भक्तों को भंडारे का प्रसाद बैठा कर वितरण किया जाता है ।
इस तरह अमरकंटक में अनेक संत आश्रम है , सभी मे कुछ न कुछ भक्ति भाव पूजन अर्चन करते देखा जा सकता है । जिन आश्रमो में गुरु जी यंहा नही आ पाते वंहा शिष्यों द्वारा गुरुपूजन करते है ।
लंबे कॅरोना महामारी के बाद इस वर्ष गुरुपूजन करने का अवसर प्राप्त हुआ जिस वजह से अमरकंटक में साधु- संतों आश्रमो में भारी भीड़ दिखी और उत्साह से शिष्य गुरुपूजन में नजर आए ।

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