प्यार की जरूरत हर उम्र में पड़ती है ना कि सिर्फ जवानी में। (लेख)

सत्य घटना

आज न जाने कितने लोग इसे पढ़कर कहेंगे कि उम्र का कोई लिहाज नहीं, शर्म नहीं है लोगो में, जिस उम्र में भगवान में ध्यान लगा लेना चाहिए था उस उम्र में प्यार ढूंढ रहे हैं। हाय हाय कैसा जमाना आ गया है? मुझे पता है आप सब यही कहोगे। क्यों क्योंकि आप सच को स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। सच को इसलिए स्वीकार करना नहीं चाहते हैं क्योंकि आप दिखावे के बंधन में बंधे हैं। इस समाज से आपको डर लगता है बहुत ज्यादा। क्योंकि आप डरपोक है। आपको डर लगता है किसी से बात करने में।आपको डर लगता है कि अगर आपने दो बातें किसी से प्यार की कर दी तो कोई आपको क्या कहेगा!आपकी तो इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी जो आपने वर्षों में कमाई थी।

बस इन्हीं सब चक्करो में आप किसी इंसान का ध्यान नहीं रखते हैं। उससे प्यार से बातें नहीं करते हैं। कहीं किसी को पता चल गया तो लोग हमारा उसी से चक्कर ना जोड़ दें!
ऐसा इसलिए क्योंकि दिमाग में गंदगी जो भरी हुई है। उसको कोई नहीं निकाल सकता जब तक आप खुद ना चाहो।

आज मैं आपको एक सच्ची घटना बताऊंगी कि प्यार की जरूरत हर उम्र में पड़ती है ना की सिर्फ जवानी में। लोग प्यार को एक ही तरीके से क्यों देखते हैं प्यार के तो बहुत सारे तरीके होते हैं। जो उम्र के साथ साथ बदलते जाते हैं।जवानी में प्यार नहीं होता है उसे तो कुछ और कहते हैं।जैसे आकर्षण!सच्चे प्यार का एहसास तो एक उम्र बीत जाने के बाद ही होता है। जैसे सच्चे प्यार का एहसास मेरे इन जानकार को एक उम्र के निकल जाने के बाद बहुत सता रहा था।

मेरे ये जानकार कैसे अपने मन की बात इस समाज के सामने रखें? कैसे किसी रिश्तेदार से यह बात कह दे कि मुझे भी प्यार की जरूरत है इस उम्र में कि, कोई मुझे भी सच्चा प्यार करें इस उम्र में!कि मेरे अंदर भी भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं, दर्द है, आभास है, इन्हीं वजह से तो मेरा मन अब उदास है।

जवानी में शादी हो गई थी मेरे इन जानकार की जल्दी ही कम उम्र में। आदमी जवानी में प्यार कहां करता है, वह तो कमाने की धुन सवार रखता है। शाम को थका हारा घर आता है और घर आकर भी कल फिर ज्यादा कमाने की ही धुन सवार रखता है। यह बात दूसरी है कि लोग जवानी में सुख सुविधाओं और पैसे को देखकर उसको प्यार समझ बैठते हैं!कि बहुत पैसा कमा रहा है जवानी में तो इनसे ज्यादा प्यार करने वाला और कोई कौन हो सकता है?

इन्हीं सब भौतिक चीजों को पत्नी और बच्चों के लिए, जोड़ने में मेरे इन जानकार ने पूरी जवानी निकाल दी थी। देखते ही देखते दोनों बेटे बड़े हो गए थे मेरे इन जानकार के दोनों बेटों की शादी मेरे इन जानकार ने अपने दोस्त की बेटियों से कर दी!जुड़वा बहने घर में बहू बनकर आ चुकी थी। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। मेरे इन जानकार ने अपना बिजनेस काफी देशों में फैला लिया था।

बस खुशी के इन्ही दिनों में एक दिन ऐसा आया जब पत्नी ने साथ छोड़ दिया था और वह हमेशा के लिए इस धरती को छोड़कर, अपने परिवार को छोड़कर, अपने बच्चों को छोड़कर और अपने पति को छोड़कर ईश्वर के पास जा चुकी थी। पत्नी के चले जाने के बाद सब लोगों ने मेरे इन जानकार का बहुत ध्यान रखा कुछ दिन तक धीरे-धीरे सब अपने अपने घर लौट गए। घर में बेटी समान दो बहुएं टाइम से खाना देती और अपने अपने कमरे में चली जाती। लेकिन बात क्या करें कुछ बात करने के लिए थी ही नहीं। ससुर जी से बहुओं के पास शाम को फिर यही टाइम से बहुए खाना देती फिर सब अपने अपने कमरे में। सब काम टाइम से हो रहे थे। बस बात करने का ही टाइम नहीं था किसी के पास।

अब मेरे इन जानकार को महल जैसे घर का कमरा और परिवार में दो बेटे, दो बहुए होने के बावजूद भी बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था। बस मेरे इन जानकार को ऐसा लगता था कि कोई उनसे थोड़ी देर बात करें। लेकिन थोड़ी देर बात करने का समय किसी के पास नहीं था। रिश्तेदारों को फोन लगाते तो उधर से जवाब आता है और सब कैसे हैं? इधर से जवाब होता सब अच्छे हैं और सब कैसा चल रहा है। इधर से जवाब होता कि सब अच्छा चल रहा है। बस इतनी बातें होने के बाद दोनों तरफ से फोन कट जाते। जब सब अच्छा है तो फिर आगे बात क्या करें!

अब मेरे इन जानकार को धीरे-धीरे समय बोझ लगने लगा और जिंदगी ऐसे लगने लगी कि जैसे सब कुछ होते हुए भी कोई मन की बात सुनने वाला नहीं है। आज इस उम्र में जो मन की बात को सुन सके, समझ सके, थोड़ी देर बात करके जिससे मन हल्का किया जा सके। अब इस उम्र के पड़ाव में मेरे इन जानकार को सच्चे प्यार की कमी महसूस हो रही थी जो सच में अपना हो जो अपने मन की बात को समझ सके, सुन सके।

बस एक दिन इन जानकार को मेरा नंबर कहीं से मिल गया। डरते डरते मुझे फोन लगाया कि कहीं मैं बुरा ना मान जाऊं। इस समाज की रीत ही ऐसी है कि अगर एक व्यक्ति एक महिला को फोन लगाता है तो गलत ही समझ लिया जाता है। इधर मैंने बातें करनी शुरू की और बातों ही बातों में मैंने कह दिया कि आपको एक सच्चे दोस्त की जरूरत है इस उम्र में। क्या आप मेरे दोस्त बनना पसंद करोगे ? उधर से जवाब आया हां। लेकिन यह बात किसी को तुम नहीं बताओगी। मेरे जानकार ने मुझसे कहा कि मुझे यह डर लगता है कि अगर लोगों को पता चल गया कि तुम मुझसे बातें करती हो तो कोई तुम्हें गलत ना समझ बैठे और मुझे भी।

यह शब्द सुनते ही मुझे जोर की हंसी आ गई और मैं बहुत जोर जोर से हंसने लगी। मैंने कहा कि आपको मुझसे अनुभव ज्यादा है हर चीज का उम्र का, समाज का, रिश्तेदारी का, पैसों का, दौलत का, समझदारी का और फिर भी आप एक चीज में मुझसे कम अनुभव रखते हैं।किसी को खुशी देने का अनुभव मुझे आपसे बहुत ज्यादा है। जिसमें मैं बिना किसी से डरे हुए, किसी की परवाह किए बिना आपसे बात करने की हिम्मत रखती हूं। वह आप में हिम्मत नहीं है इस उम्र में भी। उन्होंने फिर से मुझसे कहा कि मुझे इस समाज से डर लगता है कि वह गलत ना समझ बैठे।
मैंने उनको एक सलाह दी थी आज।

छोड़ दो इस समाज को खुश करने का यह रीत रिवाज।

दो बातें करने के लिए इसलिए तरस गए हो तुम आज।

किसी से बातें करना गुनाह नहीं बस मर्यादा की रखो लाज।

मैं आपसे ही बातें नहीं करती हूं हजारों दोस्त मेरे हैं आज*

मैं खुद सही हूं इसलिए ईश्वर मुझे देता आ रहा है यही काज।

गलत तो ईश्वर को भी समझ में नहीं आया तो यह इंसान क्या समझेंगे बात।

आज हजारों लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं और अपने दिल की बातें मुझसे खुलकर साझा भी करते हैं। मुझे खुशी होती है कि मैं हजारों लोगों की बातें सुनकर उनको डिप्रेशन में जाने से बचाती हूं, बिना किसी की परवाह किए बिना किसी से डरे। आज मेरे हजारों चाहने वाले मुझसे 4 गुना बड़े हैं ना लंबाई में नहीं उम्र में। तो किसी को थोड़ा सा समय देना डर की बात नहीं। सम्मान की बात है। क्या सारा सम्मान लेने कि अधिकारी में ही हूं। आपको सम्मान की जरूरत नहीं है।

लेखिका डॉ हर्ष प्रभा उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद
समाज सेविका पर्यावरणविद एवं लेखिका
मिसेज इंडिया फर्स्ट रनर अप 2022
राष्ट्रीय महासचिव महिला सेल
भारतीय मीडिया फाउंडेशन

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