अमरकंटक – श्रवण उपाध्याय
माँ नर्मदा जी की उद्गम स्थळी व पवित्र नगरी अमरकंटक में संवत २०७९ ईस्वी वर्ष २०२२ आषाढ़ शुक्ल षष्ठी दिन मंगलवार ०५ जुलाई २०२२ से आषाढ़ शुक्ल द्वादशी दिन सोमवार ११ जुलाई २०२२ तक श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ आचार्य स्वामी गोविंद देव् गिरी जी महाराज के कृपांकित गौवृति श्रद्धेय पं. अशोक जी महाराज – पारीक , पुणे (महाराष्ट्र) के मुखरविन्दों से गुरु पूर्णिमा के पूर्व अवसर पर शांति कुटी आश्रम के श्री श्रीमहंत रामभूषण दास जी महाराज के सानिध्य में आश्रम के भक्तगण व नगरवासी इस पुनीत भागवत कथा का लाभ ले रहे है ।
प्रथम दिवस मंगलवार को प्रातः 10 बजे से विशाल कलश शोभा यात्रा व भागवत महापुराण शिरोधार्य कर शांति कुटी आश्रम से सभी भक्तगण,श्रद्धालुजन ढोल नगाड़ो के साथ परम आशीर्वाद श्री भरत दास जी महाराज (बड़े गुरुभाई) , मुख्य यजमान श्रीमति सुशीला जी शर्मा अहिल्यापुरा इंदौर , श्रीमति सरोजदेवी-रमेश पोद्दार मनेन्द्रगढ़ , श्रीमति ज्योति-घनश्याम अग्रवाल कोरबा , श्रीमति स्वाति-सुरेशचंद्र पांडेय चाँपा , सत्तू शर्मा , अशोक महाराज , कैलाशचंद पाटीदार , अमन शर्मा , दिनेश मोरी , प्रकाश चंद वर्मा , अक्कू पवन दौर , काशी के पं.अनुजजी त्रिपाठी व अन्य श्रद्धालुजन शोभा यात्रा में शामिल होकर शांति कुटी से नगर से होते हुए माँ नर्मदा मंदिर पहुच उद्गम में मंदिर पुजारी नीलू महाराज , वन्दे महाराज व अन्य ब्रम्हाणो ने विधि विधान से पूजन आर्चन करवाकर कलश में जल भरकर माँ नर्मदा मुख्य मंदिर दर्शन पश्चात मंदिर परिक्रमा करने के बाद कलश शोभा यात्रा वापस नगर के रास्ते होते हुए शांति कुटी पहुच कर भागवत महापुराण को विराजमान कर पूजन उपरांत कथा का शुभरम्भ किया गया ।
कथा का समय है अपरान्ह ३ बजे से सायं ७ बजे तक रोजाना , श्रद्धेयजन आकर इस कथा का लाभ उठा सकते है ।
संत रामभूषण दास जी महाराज कहते है कि –
नर्मदा नर्मदा सर्वमनोरथानी ददाति वै ।
कलौ तु नर्मदा देवी कल्पवृक्षी जनार्तिहा ।।
आश्रम की परंपरानुसार गुरुपूर्णिमा का उत्सव प्रतिवर्ष की भांति मनाया जाता है । पिछले दो वर्षों से कोविड महामारी के कारण भक्तगण अपने गुरुपूजन उत्सव को ज्यादा भक्तगणो के साथ नही हो पाया था । इस वर्ष भक्तगण उत्साहित है और अन्य वर्षो की भांति ही गुरुपूजन के पूर्व भागवत कथा का आयोजन भी चल रहा है । हमारे यंहा ध्वज पूजन , गुरुपूजन , विशाल नगर भंडारा जिसमे नवोदय विद्यालय के स्टाफ सहित पूरे बच्चे बच्चियां प्रसाद पाने आती है ।
गुरुपूर्णिमा महोत्सव बडी ही धूमधाम से मनाया जाता है , हम भगवान पूजन पश्चात गुरुपूजन उसके बाद भक्तजन अपने अपने गुरुपूजन करते है । यही परंपरा आश्रमो में अनेक वर्षो से चलता आ रहा है ।
गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है , इसलिए छल कपट त्याग कर श्रद्धापूर्वक गुरुभक्ति करनी चाहिए ।