उद्गम स्थळी में गणपति बप्पा विराजे पंडालों और घरों में विधि विधान से ।

अमरकंटक :: श्रवण उपाध्याय (पत्रकार)

माँ नर्मदा जी की उद्गम स्थळी/पवित्र नगरी अमरकंटक के अनेक वार्डो , चौराहों तथा घरों में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बढ़े धूमधाम व उत्साह से विराजमान कर विधि विधान से पंडितों द्वारा मंत्रोचार कर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है ।
गणेश चतुर्थी का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को ही हर वर्ष मनाया जाता है , जो कि दस दिनों तक गणपति बप्पा विराजमान रह कर भक्तों को सेवा करने का मौका देते रहेंगे ।

माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश जी का प्रागट्य हुआ था ऐसा मान कर उनकी दस दिनों तक विशेष पूजन अर्चन किया जाता है । दस दिन बाद अनंत चतुर्दसी को गणेश जी को ढोल नगाड़ो के साथ गणपति बप्पा मोरया , अगले बरस तू लौकर आ के जयघोष के साथ विसर्जित कर दिया जाता है ।
महापर्व की इस अवधि में गणेश भगवान की पूजा करने से हर संकट दूर हो जाता है और श्रद्धालुओं को मन चाहा वरदान भी मिलता है ।

अमरकंटक के अनेक वार्डो के पंडालों तथा अनेक घरों में गणपति जी की मूर्ति स्थापित की गयी है । प्रमुख रूप से अमरकंटक में बाजार ऐरिया प्राधिकरण पास , सर्किट तिराहा , बैकटोला , बाराती , हिंडाल्को ,बाँधा , जमुनादादर , कपिलासँगम , टिकरिटोला आदि जगहों पर उत्साह पूर्वक गणेश स्थापना की गई है । यह सब देखते हुए नगर का वातावरण भक्तिमय हो गया है जो दस दिवस लोगो को भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति से जोड़े रखेगा । यही माहौल लगभग पूरे प्रदेश व अन्य राज्यो में देखने को मिलेगा ।

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