अमरकंटक पुण्य क्षेत्र में ओशो संयासियो का महाकुंभ शांति कुटी आश्रम में 1 मई से 6 तक ।

अमरकंटक की धरा . सिद्ध क्षेत्र मां नर्मदा जी के तट में .. ओशोधारा के 300 प्यारे ।

सन्यासियों के साथ.. समर्थ गुरु सिद्धार्थ औलिया जी के सानिध्य में मंगल उपनिषद पर गूढ़ चर्चा ही..स्वयं मंगलमय है।

अमरकंटक में अध्यात्म की बह रही गंगा। निरंकार,ओंकार,नूर से कर रहे साक्षात्कार।

अमरकंटक – श्रवण उपाध्याय

मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के शांति कुटी आश्रम में समर्थ गुरु सिद्धार्थ औलिया जी के सानिध्य में योग्य आचार्यों के मार्गदर्शन में ध्यान एवं निरती समाधि के कार्यक्रम साधक सन्यासी कर रहें है और अपना जीवन रूपांतरित कर रहें हैं।
30 अप्रैल को उद्घाटन के बाद 1 मई 2023 से 6 मई 2023 तक शिविर आयोजित है । यंहा पर देश के कई प्रान्तों के जिलो से सन्यासी साधक आये हुए है तथा देश के बाहर विदेश से भी साधक पहुचें है।

अमरकंटक के अनेक दर्शनीय स्थल में समर्थगुरु के साथ चलकर सोनमुडा , माई की बगिया और कबीरदास जी की तपस्थली कबीर चबूतरा जंहा गुरु कबीरदास साहब ने गुरु नानक देव जी को नामदान दिया था और यंही से ओशो धारा के अध्यात्म की गंगा भी बह निकली थी , जब सद्गुरु सिद्धार्थ औलिया जी ने 4/4/1998 रामनवमी के दिन 21 साधक , शान्यासियों को नामदान ओंकार दीक्षा उसी बट व्रक्ष के नीचे दी थी जंहा पर कवीरदास जी ने नानकदेव जी को दी थी और आज 3/5/2023 को उसी क्षेत्र में समर्थ गुरु अपने 300 शान्यासियों के साथ उस आत्म संस्मरण को साझा करते हुए उत्सव मनाते हुए अपने साधको को उपदेश दिया।

चर्चा के दौरान आर डी गुप्ता ने बताया की आज 70000 ओशो संयशियों की संस्था समर्थगुरु सिद्धार्थ आलिया सरकार के सानिध्य में अपना जीवन रूपांतरित कर जीवन के उद्देश्य और परम सत्य को जान समझ रहे है।

दिव्य सिद्ध क्षेत्र मां नर्मदा के उद्द्गम स्थल अमरकंटक के शांति कुटी में ओशोधारा के आकाश में भगवान भास्कर की तरह दैदीप्यमान समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी का आगमन से यह धरा हरी भरी हो गई है । यंहा समर्थगुरु के सानिध्य में 6 दिनों तक ध्यान एवं निरती समाधि के साधना की आध्यत्म की गंगा बह रही है । देश विदेश से आये 300 साधक, सन्यासी गोते लगा रहे है।

शांति कुटी के महराज अनंत श्री बिभूषित महंत शांत शिरोमणि श्री रामभूषण दास जी महराज के कृपा सानिध्य से उनकी सहयोग को सभी ओशोधारा सन्यासी पाकर अविभूत हो रहे हैं।

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