अमरकंटक :- श्रवण उपाध्याय (पत्रकार)
माँ नर्मदा जी की उद्गम स्थळी / पवित्र नगरी अमरकंटक में आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज के प्रेरणा से जैन समाज द्वारा सन 2000 से लगातार नवनिर्माणाधीन विशाल जिनालय तैयार हो रहा है जो कि अब धीरे धीरे पूर्णतः की ओर है । जैन समाज का यह विश्व की सबसे बड़ी वजन की मूर्ति भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा यंहा विराजमान है जो कि 17 टन अष्ट धातु का कमल है जिसमे भगवान आदिनाथ जी विराजमान है उनकी भी वजन 24 टन है उन्हें भी अष्ट धातु से निर्मित कराया गया है । जिनालय के अंदर आदिनाथ जी व कमल दोनों का वजन 41 टन है जो कि गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड में दर्ज हो चुका है । दुनिया की सबसे वजनी अष्टधातु की प्रतिमा अमरकंटक के जैन मंदिर में देखने को मिलता है । इन्ही के बगल से दो और मूर्ति अष्टधातु की विराजमान है पहला भगवान भरत व दूसरी भगवान बाहुबली । ये मूर्तिया भी 11 – 11 टन की बताई जा रही है । इसी मंदिर के ठीक सामने सहस्त्र कूट जिनालय बना है जब आप मंदिर में प्रवेश करेंगे तो यह पहला दर्शन होगा , यह भी लगभग पूर्णतः की ओर है । इस सहस्त्र कूट जिनालय में नीचे से ऊपर तक मे 1008 मूर्तिया स्थापित होंगी जिनका वजन लगभग 55 से 60 किलोग्राम के बीच अष्टधातु की होगा ऐसी जानकारी जैन समाज की ओर से प्राप्त हो रही है और सबसे ऊपर शिखर पर तीन मूर्तिंया विराजमान होंगी जो लगभग ढाई ढाई टन की एक होंगी वह भी अष्टधातु की मूर्तिया रहेंगी ।
मुख्य मंदिर के दक्षिण की ओर संत भवन बनाया गया है जिसमे सभी जैन संत निवास करेंगे तथा ऊपर की ओर भाग में संत समागम होगा व यंही से आशीर्वाद भक्त जनों को प्राप्त होगा , यह भी लगभग तैयारी की ओर है । मुख्य मंदिर लगभग तैयार है , सफाई का कार्य भी पूर्ण होने वाला है ।
जैन मंदिर निर्माण के पहले वर्ष 2000 में एक भब्य मॉडल मंदिर का स्वरूप लकड़ी का बना कर यंहा रख दिया गया था जो कि आज भी ऑफिस में जाने से देखा व दर्शन किया जा सकता है , इसी तर्ज पर पूरा जिनालय का निर्माण किया जा रहा है ।
मंदिर का निर्माण सन 2000 नींव रख कर प्रारंभ किया गया था । 6 जुलाई 2003 में भगवान आदिनाथ जी की बेदी में स्थापना की गई थी । उस समय देश के उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में तथा म.प्र.के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व छ.ग.के मुख्यमंत्री अजीत जोगी की उपस्थिति में उनके करकमलों से वेदी की स्थापना हुई थी । उसके बाद 23 अप्रैल 2007 में मान स्तंभ का शिलान्यास हुआ उसमे भी उस समय के उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत जी , उपराज्यपाल बलराम जाखड़ जी तथा म.प्र.के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की विशेष उपस्थिति में सम्पन्न हुआ । जिसे देखने यंहा हजारों की संख्या में लोग रोजाना आते रहते है ।
आचार्य गुरुवर विद्यासागर महाराज जी की कृपा व ससंग के सानिध्य में अगर यंहा अमरकंटक में पंच कल्याणक गजरथ महोत्सव होने की प्रबल संभावना अप्रैल व मई माह में लगाई जा रही है । जैन समाज के भक्तों से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि गुरुवर जी की कृपा इधर की बन रही है पर सही कहा भी नही जा सकता पर उम्मीद है कि अप्रैल , मई य जून तक मे पूरी संभावना हम सब को लग रही है कि वो जरूर पधारेंगे और गुरुवार की कृपा पूरी रही तो अमरकंटक में कुंडलपुर की तर्ज पर पंच कल्याणक गजरथ महोत्सव ऐतिहासिक होगा , जिसे स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जाएगा ।आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी की उम्र 75-76 तकरीबन हो चुकी है वे रोजाना 11-12 के आस पास पैदल चलने का ही प्रयास करते है । इस तरह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका अमरकंटक आने की प्रबल संभावना है । जैन समाज के विशिष्ट जनो का दल गुरुवर के पास जाकर अनुरोध , विनती भी लगाई है कि आप अमरकंटक पधारे । उनके द्वारा निश्चित आश्वासन प्राप्त नही हुआ है पर संभावना पूरी लगाई जा रही है ।
चर्चा के दौरान जानकारी देते हुए जैन समाज के विशिष्ट देवेंद्र जैन (चुन्नू) , राकेश जैन , नीलेश जैन , सुनील जैन(बाबा भैया) , पंकज जैन , प्रशांत जैन आदि ने जानकारी प्रदान की ।